Friday, March 29, 2024
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पेनल्टी एरिया से गोल कितनी दूरी पर होता है?

पेनल्टी एरिया गोल से 16.5 मीटर की दूरी पर होता है। इतनी ही दूरी दोनों गोलपोस्ट और पेनल्टी एरिया के बीच होती है।

फुटबॉल दुनिया का सबसे पसंदीदा आउट डोर खेलों में से एक, जिसके चाहने वाले दुनिया के हर कोने में मौजूद रहते हैं। फुटबॉल उन खेलों में से है जिसकी दीवानगी बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर उम्र के व्यक्ति में होती है। इस खेल को खेलना और देखना हर किसी को पसंद है लेकिन इसको लेकर कुछ ऐसी भी जानकारियां हैं जिसे शायद सभी लोग नहीं जानते हैं। फुटबॉल को खेलने का एक अपना तरीका होता है, इसके नियम अन्य सभी स्पोर्ट्स की तुलना में काफी अलग होते हैं। आज हम इस लेख में आपको फुटबॉल से जुड़ी उन छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी हर एक बात की जानकारी देंगे।

 अगर आप फुटबॉल खेल को समझना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास फुटबॉल फील्ड की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। आपने देखा होगा कि फुटबॉल फिल्ड के ऊपर घास होती है। कभी कभी मैदान पर असली घास नहीं होते हैं तो उसके उपर नकली घास की परत लगाकर कर उसे तैयार किया जाता है। इसका आकार रेक्टेंगुलर होता है। फुटबॉल का मैदान 90 से 120 मीटर लंबा और 45 से 90 मीटर तक चौड़ा होता है।

 फील्ड की लंबाई में जो बॉर्डर बने हुए होते हैं उन्हें टच लाइन या साइड-लाइन कहा जाता है और जो बॉर्डर पिच की चौड़ाई की दिशा में होते हैं उन्हें गोल-लाइन कहते हैं। वहीं मैदान के चारो कोनों पर एक-एक झंडा लगा हुआ होता है। जितनी एरिया में मैच खेला जाता है उसे साइड लाइन और गोल लाइन में बांटा जाता है। फील्ड के आधे हिस्से में एक हाफ-लाइन भी बनाई जाती है, जो गोल पोस्ट के सामने होता है। सेंटर सर्किल को हाफ-लाइन के मिड-पॉइंट पर बनाया जाता है।

पेनल्टी एरिया से गोल कितनी दूरी पर होता है

फॉर्मेटमिनिमम लम्बाईमिनिमम चौड़ाईमैक्सिमम लम्बाईमैक्सिमम चौड़ाई
5 ए साइड20 मीटर30मीटर25 मीटर35 मीटर
7 ए साइड30 मीटर45 मीटर35 मीटर50 मीटर
11 ए साइड90 मीटर45 मीटर120 मीटर90 मीटर

फुटबॉल में पेनल्टी एरिया क्यों महत्वपूर्ण होता है?

 फुटबॉल के खेल में पेनल्टी एरिया की अहमियत काफी ज्यादा होती है। जो टीम इस एरिया का सबसे ज्यादा फायदा उठाती है, उस मुकाबले में उसी का दबदबा होता है। इंटरनेशनल फुटबॉल मैचों में एक टीम में 11 प्लेयर होते हैं। दरअसल फुटबॉल मुकाबले की शुरुआत सेंटर पॉइंट के सेंटर सर्किल से होती है और दोनों में से एक टीम गेंद को किक मार कर इसकी शुरुआत करती है। दोनों टीमों का मकसद अपनी विपक्षी टीम के पाले में गेंद को ले जा कर गोल करना होता है।

 हाफ टाइम यानी कि, 45 मिनट के खेल के बाद दोनों टीमें गोलपोस्ट बदल लेती हैं और इस बार पहले हाफ की डिफेंडिंग टीम सेंटर सर्किल से मैच को फिर से शुरू करती है। इस खेल में सिर्फ एक खिलाड़ी ऐसा होता है, जो गेंद को हाथ से भी टच कर सकता है और वो है गोलकीपर। हालांकि गोलकीपर गेंद को तभी हाथ लगा सकता है, जब गेंद पेनल्टी एरिया के अंदर आ जाए। इसके अलावा डिफेंड करते हुए गोलकीपर अपने शरीर का कोई भी हिस्सा लगाकर गेंद को गोल करने से रोक सकता है।

 अगर गोलकीपर अपने प्रतिद्वंदी खिलाड़ी के मारे हुए शॉट को रोकने में सफल होता है, तो उसके बाद वह अपने हाथों से गेंद को उठाकर फील्ड में फेंक कर खेल को दोबारा शुरु कर सकता है। इसके अलावा अगर वह गेंद को किक मार कर आगे बढ़ाना चाहता है, तो वह पेनल्टी एरिया के अंदर और बाहर से मार सकता है।

पेनल्टी एरिया से गोल कितनी दूरी पर होता है?

दोनों गोल-लाइन के बीच के हिस्से में दो गोलपोस्ट बनाए जाते हैं जिसका साइज रेक्टेंगुलर होता है। गोल पोस्ट की लम्बाई 7.32 मीटर और ऊंचाई 2.44 मीटर होती है। हर गोलपोस्ट के पास एक पेनल्टी एरिया होता है जिसे 18 यार्ड बॉक्स भी कहा जाता है। पेनल्टी एरिया गोल से 16.5 मीटर की दूरी पर होता है। इतनी ही दूरी दोनों गोलपोस्ट और पेनल्टी एरिया के बीच होती है। 

फ़ाउल, कार्ड, फ्री किक और पेनल्टी किक

फुटबॉल गेम को अगर आप ध्यान से देखें तो आपको यही लगेगा कि इस खेल में एक टीम हमेशा दूसरी टीम से गेंद को खींच कर अपनी तरफ लाना चाहती है। गेंद को अपने पाले में लाने के लिए भी खिलाड़ियों को कुछ नियमों का ध्यान रखना पड़ता है। यदि कोई भी खिलाड़ी नियम के साथ गेंद को अपनी ओर लाता है तो खेल को जारी रखा जाता है। वहीं अगर इस दौरान कोई प्लेयर किसी नियम का उल्लंघन करता है तो इसे फ़ाउल करार दिया जाता है।

जाने या अनजाने में यदि कोई खिलाड़ी फुटबॉल को हाथ से छू देता है तो उसे भी फ़ाउल कहा जाता है। यह नियम पेनल्टी एरिया में मौजूद गोलकीपर के लिए अमान्य है। अब आप सोचेंगे की फाउल के बाद क्या होता है।

यदि रेफरी द्वारा किसी खिलाड़ी को फाउल दिया जाता है तो उसके बाद मैच अधिकारी इस बात को देखते हैं कि खिलाड़ी ने कितनी बड़ी गलती की है। उसको देखने के बाद ही रेफरी या तो चेतावनी देता है या फिर कार्ड देता है। दरअसल फुटबॉल में दो तरह के कार्ड होते हैं, पहला रेड कार्ड और दुसरा येलो कार्ड।

येलो कार्ड एक तरह की चेतावनी होती है, लेकिन दो येलो कार्ड को रेड कार्ड करार किया जाता है। जिस भी खिलाड़ी को रेड कार्ड मिलता है, उसे उसी समय मैच छोड़ना पड़ता है और वह अगले मुकाबले से भी बाहर हो जाता है।

वहीं अगर कोई खिलाड़ी मैदान पर कोई बड़ी या गंभीर गलती करता है तो वहां भी उसे रेड कार्ड दिया जा सकता है और साथ ही इस दौरान कोई गोल होता है उसे भी खारिज कर दिया जाता है। हर एक फाउल के बाद प्रतिद्वंद्वी टीम को फ्री किक दिया जाता है। अब आपके मन में ये सवाल होगा कि ये फ्री किक क्या होता है।

जब मैच के दौरान किसी भी प्लेयर द्वारा फाउल होता है तब जिस भी जगह पर फाउल होता है उसी जगह पर गेंद को रखा जाता है और डिफेंडिंग खिलाड़ी को कम से कम 9.15 मीटर की दूरी पर खड़ा होना होता है। ऐसे में विपक्षी टीम के प्लेयर के पास सीधे गोल करने का मौका होता है।

वहीं अगर किसी टीम द्वारा फ़ाउल पेनल्टी एरिया में हो तो उसके लिए नियम थोड़े अलग और कठोर होते हैं। ऐसे में उनके प्रतिद्वंदियों को पेनल्टी किक मिलती है। पेनल्टी किक के समय गेंद को पेनल्टी कॉर्नर पर रखा जाता है और प्लेयर वहां से सीधा गोल करने की कोशिश करता है। पेनल्टी किक के समय केवल गोलकीपर ही गेंद रोक सकता और बाकी खिलाड़ी पेनल्टी एरिया के बाहर रहते हैं।

पेनल्टी किक के दौरान गोलकीपर को अपने दोनों पैर गोल-लाइन पर रखकर खड़ा होना होता है। किक मारने से पहले अगर कीपर अपनी जगह से हिलता है तो प्लेयर फिर से शॉट को दोबारा लिया जाता है। वहीं अगर कोई प्लेयर पेनल्टी एरिया के अंदर फ़ाउल करता है तो उसके प्रतिद्वंदी को गोल किक मिलती है।

गोल किक में खिलाड़ी को ऑफसाइड के नियम का भी पालन करना होता है। जिस भी खिलाड़ी को पास मिल रहा होता है वह उस पहले डिफेंसिव लाइन के पार नहीं जा सकता। हालांकि यह नियम तभी लागू होता है, जब पास लेने वाला खिलाड़ी विपक्षी टीम के पाले में हो। जो पास थ्रो के जरिए आते हैं वहां भी ऑफसाइड का नियम लागू होता है।

फुटबॉल के मुकाबलों में एक्स्ट्रा टाइम

एक फुटबॉल मैच 90 मिनट का होता है। उस 90 मिनट के दौरान जो टीम सबसे ज्यादा गोल करती है वो जीत जाती है। अगर मुकाबले में दोनों टीमों में से कोई भी टीम गोल न करे या दोनों टीमों के गोल 90 मिनट के बाद बराबर हों तो उस मुकाबले को ड्रॉ माना जाता है। लेकिन अगर मुकाबला बड़ा हो या किसी टूर्नामेंट का फाइनल हो तो वहां विनर टीम का नाम सामने आना बहुत जरूरी होता है।

उस दौरान फाइनल रिजल्ट निकालने के लिए दोनों टीमों को एक्स्ट्रा टाइम दिया जाता है या फिर उस मैच में पेनल्टी शूटआउट करवाया जाता है। एक्स्ट्रा टाइम 30 मिनट (15-15 मिनट 2 हाफ) तक खेला जाता है। इसमें अगर कोई टीम जीत जाए तो उसे मुकाबले का विजेता घोषित किया जाता है। लेकिन अगर यहां भी मैच बराबर रहा तो फिर पेनल्टी शूट आउट करवाया जाता है।

पेनल्टी शूटआउट में 5 राउंड का एक सेट होता है। जहां एक-एक कर दोनों टीमों के खिलाड़ी गोल करने की कोशिश करते हैं। 5 राउंड के बाद जिस टीम का स्कोर ज़्यादा होता है, वह जीत जाती है। अगर इसके बाद भी स्कोर बराबर है तो इसके बाद सडन डेथ तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

सडन डेथ में एक टीम ने स्कोर कर दिया और उसका प्रतिद्वंदी किक मिस कर गया तो वह टीम जीत जाती है। यह तब तक खेला जाता है जब तक उस मुकाबले में किसी विनर टीम का सामने न आ जाए।

FAQs

पेनल्टी एरिया से गोल कितनी दूरी पर होता है?

पेनल्टी एरिया गोल से 16.5 मीटर की दूरी पर होता है।

फुटबॉल के मैदान की पिच की लंबाई कितनी होती है?

फुटबॉल के मैदान की लंबाई 100-110 मीटर (110-120 यार्ड) होती है.

फुटबॉल मैदान का गोल क्षेत्र कितना बड़ा होता है?

फुटबॉल मैदान का गोल एरिया 7.32 मीटर चौड़ा होता है।

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